Hindi Vyakrn ki bohat hi mahvpurn PDF|हिंदी व्याकरण विशेष (विलोम शब्द )
हिंदी व्याकरण विशेष (विलोम शब्द )
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- शब्द – विलोम
- संशय
- अच्छा – बुरा
- राजा – रंक या रानी या प्रजा
- पूर्ण – अपूर्ण
- स्त्री – पुरुष
- कृतज्ञ – कृतघ्न *असुर
- तुच्छ – महान
- गुण – अवगुण
- हित – अहित
- पक्षपात – निष्पक्ष या पारदर्शी
- प्रगतिशील – प्रतिगामी
कुछ प्रमुख शब्दों के विलोम शब्द
- अंकुश – निरंकुश
- अकाल – सुकाल
- माता जी
- अकलुष कलुष
- अग्राह्य -ग्राह्य
- अग्रज – अनुज
- उत्साह – अनुत्साह
- सोत्साह – निरुत्साह
- अग्रिम – अन्तिम
- अचल – चल
- अजल – निर्जल
- वृष्टि – अनावृष्टि
- अनंत – अंत
- अति -अल्प
- अथ – इति
- अतुकान्त – तुकान्त
- अतिवृष्टि – अनावृष्टि
- अनाहूत – आहुत
- अनुकूल – प्रतिकूल
- अनुरक्ति -विरक्ति
- अनित्य – नित्य
- अनुलोम- – विलोम
- अनभिज्ञ- – भिज्ञ
- अभिज्ञ – अनभिज्ञ
- अमृत, अमि, (अमिय) – विष, जहर
- अर्पण – ग्रहण
- अपेक्षा – उपेक्षा
- अर्वाचीन – प्राचीन
- अपकार – उपकार
- अवलम्ब – निरालम्ब
- अल्प – अधिक
- अधम- उत्तम
- अवनत उन्नत
- अन्तरंग- बहिरंग
- अनाथ- सनाथ
- अथ – इति
- आदर -अनादर
- अदेय – देय
- अन्तरंग – बहिरंग
- अंतर – बाह्य
- अंशतः – पूर्णतः
- अल्पकालीन – दीर्घकालीन
- अल्पज्ञ – बहुज्ञ
- अपेक्षित – अनपेक्षित
- अधुनातन – पुरातन
- अंगीकार, स्वीकार – अस्वीकार
- अवनि, पृथ्वी, भू, – अम्बर, आकाश, नभ
- अधर्म – सध्दर्म
- अदोष – सदोष
- अल्पायु – दीर्घायु
- अभ्यस्त – अनभ्यस्त
- अनुरक्त – विरक्त
- अमर – मर्त्य
- अतल – वितल
- अवर – प्रवर
- अमावस्या – प्रूर्णिमा
- असली – नकली
- अरूचि – सुरूचि
- अज्ञ – विज्ञ
- अपकार – उपकार
- अनागत – आगत
- अनिष्ट – इष्ट
- अस्त – उदय
- अस्ताचल – उदयाचल
- अनातुर – आतुर
- अनैतिहासिक – ऐतिहासिक
- अपचार – उपचार
- अवरोह – आरोह
- अनुत्तीर्ण – उत्तीर्ण
- रात – दिन
- अमृत – विष
- अथ – इति
- अन्धकार – प्रकाश
- अल्पायु -दीर्घायु
- इच्छा -अनिच्छ।
- उत्कर्ष – अपकर्ष
- अनुराग -विराग
- आदि – अंत
- आगामी – गत
- उत्थान – पतन
- आग्रह – दुराग्रह
- एकता – अनेकता
- अनुज – अग्रज
- आकर्षण – विकर्षण
- उद्यमी – आलसी
- अधिक – न्यून
- आदान – प्रदान
- उर्वर – ऊसर
- एक – अनेक
- आलस्य – स्फूर्ति
- अर्थ – अनर्थ
- उधार – नगद
- उत्कृष्ट – निकृष्ट
- उत्तम – अधम
- आदर्श – यथार्थ
- आय – व्यय
- स्वाधीन – पराधीन
- आहार – निराहार
- दाता – याचक
- खेद – प्रसन्नता
- गुप्त – प्रकट
- प्रत्यक्ष – परोक्ष
- घृणा – प्रेम
- सजीव – निर्जीव
- सुगंध – दुर्गन्ध
- मौखिक – लिखित
- संक्षेप – विस्तार
- घात – प्रतिघात
- निंदा – स्तुति
- मितव्यय – अपव्यय
- सरस – नीरस
- सौभाग्य – दुर्भाग्य
- मोक्ष – बंध
- कृतज्ञ – कृतघ्न
- क्रय – विक्रय
- दुर्लभ – सुलभ
- निरक्षर – साक्षर
- नूतन – पुरातन
- बंधन – मुक्ति
- ठोस – तरल
- यश – अपयश
- सगुण – निर्गुण
- मूक – वाचाल
- रुग्ण – स्वस्थ
- रक्षक – भक्षक
- वरदान – अभिशाप
- शुष्क – आर्द्र
- हर्ष – शोक
- क्षणिक – शाश्वत
- विधि – निषेध
- विधवा – सधवा
- शयन – जागरण
- शीत – उष्ण
- सक्रिय – निष्क्रय
- सफल – असफल
- सज्जन – दुर्जन
- शुभ – अशुभ
- संतोष – असंतोष
- समझदार – नासमझ
- अल्पभाषी – बहोत बोलने वाला
- दुत्कार – स्वागत
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शब्द – विपरीतार्थक शब्द
- अनाथ -सनाथ
- अवनति –उन्नति
- अंतरंग —बहिरंग
- अल्पज्ञ –बहुज्ञ
- अल्पायु —दीर्घायु
- अवनत —उन्नत
- अंतद्र्वंद्व –बहिद्र्वंद्व
- अंतर्मुखी —बहिर्मुखी
- अल्प —बहु
- अपेक्षा —उपेक्षा
- अग्रज –अनुज
- अधम -उत्तम
- अज्ञ –विज्ञ, प्रज्ञ
- अगम –सुगम
- अमृत – विष
- अलभ्य – लभ्य
- अरुचि –रुचि
- अथ –इति
- अनुग्रह -विग्रह
- अंत –आदि
- अमावस्या –पूर्णिमा
- अस्त —उदय
- अनुलोम –प्रतिलोम
- अनुरक्ति – विरक्ति
- अमर -मर्त्य
- अग्नि — जल
- अपमान –सम्मान
- अति —अल्प
- अंधकार –प्रकाश
- अल्पसंख्यक– बहुसंख्यक
- आधुनिक —प्राचीन
- आविर्भाव —तिरोभाव
- आगामी –विगत
- आचार —अनाचार
- आत्मा —परमात्मा
- आदान —प्रदान
- आयात –निर्यात
- आकाश —पाताल
- अतिवृष्टि –अनावृष्टि
- अवनि —अंबर
- अनुराग —-विराग
- अनुकूल –प्रतिकूल
- आर्द्र —शुष्क
- आशा —निराशा
- आस्तिक –नास्तिक
- आलोक –अंधकार
- आय –व्यय
- आग्रह –अनाग्रह
- आकीर्ण –विकीर्ण
- आधार —आधेय, लंब
- आकर्षण –विकर्षण
- आद्य –अंत्य
- आसक्त –अनासक्त
- आजादी — गुलामी
- आभ्यंतर –बाह्य
- इहलोक –परलोक
- इष्ट –अनिष्ट
- ईश्वर –अनीश्वर
- उपसर्ग —प्रत्यय
- उन्मूलन –रोपण
- उदार –कृपण
- उत्कृष्ट –निकृष्ट
- उपयोग –दुरुपयोग
- उपयुक्त –अनुपयुक्त
- उच्च —निम्न
- उत्तीर्ण –अनुत्तीर्ण
- उदयाचल —अस्ताचल
- उत्तरायण– दक्षिणायन
- एकतंत्र —बहुतंत्र
- एङी —चोटी
- ऐतिहासिक –अनैतिहासिक
- इच्छा –अनिच्छा
- ईद —मुहर्रम
- उपकार –अपकार
- उत्कर्ष –अपकर्ष
- उदात्त —अनुदात्त
- उत्साह —-निरुत्साह, अनुत्साह
- उत्तम —अधम
- उद्यमी —-निरुद्यम
- उत्थान –पतन
- उधार –नकद
- उपरि —अधः
- उपयुक्त —-अनुपयुक्त
- उग्र —सौम्य
- एकता —अनेकता
- एकत्र — विकीर्ण
- ऐश्वर्य —अनैश्वर्य
- एकेश्वरवाद –बहुदेववाद
- कीर्ति —अपकीर्ति
- कुरूप —सुरूप
- करुण —निष्ठुर
- क्रय —विक्रय
- कायर —निडर
- कटु —मधु
- क्रूर —अक्रूर
- कृत्रिम —प्रकृत
- कठोर, कर्कश— कोमल
- कृष्ण —श्वेत, शुक्ल
- कृतज्ञ —कृतघ्न
- कनिष्ठ— ज्येष्ठ
- कर्म —निष्कर्म, अकर्म
- कपटी —निष्कपट
- कुटिल— सरल
- क्रोध —क्षमा
- कर्मण्य —अकर्मण्य
- कोप —कृपा
- कृपण —-दाता
- कर्मठ —अकर्मण्य
- खेद –प्रसन्नता
- गणतंत्र —राजतंत्र
- गुरु –लघु
- गुप्त -प्रकट
- ग्रस्त –मुक्त
- ग्राह्य —त्याज्य
- गगन — पृथ्वी
- गरल — सुधा
- गीला — सूखा
- गौरव —लाघव
- गृहस्थ –संन्यासी
- गत —आगत
- गुण — दोष
- गमन –आगमन
- घात —प्रतिघात
- घरेलू —-बाहरी, वन्य
- चाह —अनचाह
- चिरंतन —नश्वर
- छाँह —धूप
- चोर —साधु
- छली —निश्छल
- छूत —अछूत
- जन्म —मृत्यु, मरण
- ज्येष्ठ —कनिष्ठ
- जागरण —निद्रा
- जल —स्थल
- जीवित —मृत
- जातीय —विजातीय
- जटिल — सरल
- जय —पराजय
- जङ —चेतन
- ज्योति —तम
- जीवन —मरण
- जंगम —स्थावर
- ज्वार —भाटा
- जल्द — देर
- ताप —शीत
- तम —आलोक, ज्योति
- तीव्र —मंद
- तुच्छ –महान
- देव —दानव
- दृष्ट, दुर्जन— सज्जन
- देय —अदेय
- दीर्घकाय —कृशकाय
- धनी —-निर्धन
- तिमिर— प्रकाश
- तामसिक— सात्त्विक
- तुकांत —-अतुकांत
- तरल —ठोस
- दिवा — रात्रि
- दूषित — स्वच्छ
- दुर्बल, निर्बल—- सबल
- दक्षिण — वाम, उत्तर
- ध्वंस —निर्माण
- नूतन —पुरातन
- न्यून —अधिक
- नश्वर —शाश्वत, अनश्वर
- निंदा — स्तुति
- नागरिक —ग्रामीण
- निर्मल —मलिन
- निरामिष —सामिष
- निर्लज्ज —सलज्ज
- निर्दोष —सदोष
विलोम शब्द(vilom shabd in hindi)
- निर्माण —-विनाश, ध्वंस
- नगर —ग्राम
- निर्दय — सदय
- नैसर्गिक —-कृत्रिम, अनैसर्गिक
- निष्काम –सकाम
- निंद्य —वंद्य
- निरक्षर —साक्षर
- पंडित — मूर्ख
- पक्ष —विपक्ष
- प्रमुख —–सामान्य, गौण
- प्रलय — सृष्टि
- प्रारंभिक —-अंतिम
- पाश्चात्य—- पौवार्त्य, पौरस्त्य
- प्रशंसा —निंदा
- पाप —पुण्य
- परार्थ —- स्वार्थ
- पुरस्कार —दंड, तिरस्कार
- पूर्ववर्ती —-परवर्ती, उत्तरवर्ती
- परतंत्र —स्वतंत्र
- परमार्थ —स्वार्थ
- परुष —कोमल
- प्रधान —गौण
- प्रवृत्ति —निवृत्ति
- प्राचीन —नवीन, अर्वाचीन
- प्रत्यक्ष —परोक्ष
- प्राकृतिक —-कृत्रिम, विकृत, अप्राकृतिक
- पुष्ट — क्षीण, अपुष्ट
- परिश्रम —विश्राम
- पूर्व —उत्तर, अपर, पश्चिम
- पूर्णता —अपूर्णता
- प्रयोग —अप्रयोग
- बंधन— मुक्ति, मोक्ष
- बाह्य —अभ्यंतर
- बाढ़ — सूखा
- भूत — भविष्य
- भोगी — योगी
- बहिरंग –अंतरंग
- बलवान –बलहीन
- बर्बर —सभ्य
- भौतिक –आध्यात्मिक
- भद्र —अभद्र
- मानव– दानव
- मूक —वाचाल, मुखर
- मृदुल –कठोर
विलोम शब्द
- मुख —पृष्ठ, प्रतिमुख
- महात्मा –दुरात्मा
- मिलन —विरह
- मृत –जीवित
- मुनाफा –नुकसान
- योग –वियोग
- योगी —भोगी
- रक्षक —भक्षक
- राजतंत्र –जनतंत्र
- रत –विरत
- रागी —विरागी
- रचना —ध्वंस
- रूपवान –कुरूप
- रिक्त, अपूर्ण— पूर्ण
- लघु —गुरु, दीर्घ, महत्
- लौकिक –अलौकिक
- लिप्त —निर्लिप्त, अलिप्त
- लुप्त — व्यक्त
- विवाद —निर्विवाद
- विशिष्ट —साधारण
- विजय —पराजय
- विस्तृत —संक्षिप्त
- विशेष —सामान्य
- वसंत —पतझङ
- बहिष्कार —स्वीकार, अंगीकार
- वृद्धि —ह्रास
- विधवा —-सधवा
- विमुख —सम्मुख, उन्मुख
- वैतनिक —अवैतनिक
- विशालकाय— क्षीणकाय, लघुकाय
- वीर —कायर
- वृहत्, महत्—– लघु, क्षुद्र
- व्यस्त —-अकर्मण्य, अव्यस्त
- व्यावहारिक— अव्यावहारिक
- विपत्ति— संपत्ति
- वृष्टि —अनावृष्टि
- विपद् —संपद्
- वक्र — सरल, ऋजु
- विशिष्ट —सामान्य
- वियोग, विरह– मिलन
- सम —विषम
- सजीव— निर्जीव, अजीव
- सफल —–विफल, असफल, निष्फल
- सरल —-कुटिल, वक्र, कठिन
- सजल –निर्जल
- स्वजाति– विजाति
- सम्मुख –विमुख
- सार्थक –निरर्थक
- सकर्म –निष्कर्म
- सुकर्म —कुकर्म, दुष्कर्म
- सुलभ —दुर्लभ
- सुपथ —कुपथ
- स्तुति —निंदा
- स्मरण —विस्मरण
- सशंक— निश्शंक
- सगुण —निर्गुण
- सबल —दुर्बल, अबल
- सनाथ –अनाथ
- सहयोगी– प्रतियोगी
- स्वतंत्रता –परतंत्रता
- संयोग –वियोग
- सम्मान —अपमान
- सकाम — निष्काम
- साकार —निराकार
- सुगंध — दुर्गंध
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- सुगम — दुर्गम
- सुशील —दु:शील
- स्थूल —सूक्ष्म
- संपद् —विपद्
- सुनाम —दुर्नाम
- संतोष —-असंतोष
- सुधा — गरल, विष, हलाहल
- संकल्प —विकल्प
- संन्यासी —गृही, गृहस्थ
- स्वधर्म —विधर्म, परधर्म
- समष्टि— व्यष्टि
- संघटन —विघटन
- साक्षर –निरक्षर
- सद्वृत्त— दुर्वृत्त
- समूल — निर्मूल
- सत्कर्म —-दुष्कर्म
विलोम शब्द(vilom shabd in hindi)
- सुमति— कुमति
- संकीर्ण— विस्तीर्ण
- सदाशय —दुराशय
- सुकृति—- कुकृति, दुष्कृति
- समास —व्यास
- स्वल्पायु— चिरायु
- सुसंगति —कुसंगति
- सुपरिणाम—- दुष्परिणाम
- सौभाग्य —दुर्भाग्य
- सखा —शत्रु
- सौम्य—– उग्र, असौम्य
- स्वामी —-सेवक
- सृष्टि —-प्रलय, संहार
- संधि — विग्रह
- स्थिर —- चंचल, अस्थिर
- सबाध —-निर्बाध
- स्वार्थ —निः स्वार्थ, परमार्थ
- सत्कार—– तिरस्कार
- सापेक्ष —-निरपेक्ष
- सक्षम —-अक्षम
- सादर — निरादर
- सलज्ज— निर्लज्ज
- सदय — निर्दय
- सुलभ —दुर्लभ
- स्वप्न —जागरण
- संकोच —-असंकोच, प्रसार
- सभ्य —असभ्य, बर्बर
- सुदूर —-सन्निकट, अदूर
- सभय —निर्भय, अभय
- सामान्य— विशिष्ट
- स्तुत्य — निंद्य
- सुकाल— अकाल, दुष्काल
- शकुन —अपशकुन
- शीत —उष्ण
- शुक्ल —कृष्ण
- श्वेत —श्याम
- शासक —शासित
- शयन —जागरण
- शृंखला —विशृंखला
- श्रव्य —दृश्य
- शोषक —पोषक
- श्लील —अश्लील
- शांति —क्रांति, अशांति
- शुष्क —सिक्त
- शत्रु —मित्र
- श्रीगणेश —इतिश्री
- श्रद्धा —घृणा, अश्रद्धा
- श्यामा— गौरी
- हास —रूदन
- ह्रस्व —दीर्घ
- हर्ष —-विषाद, शोक
- हिंसा —अहिंसा
- क्षर —अक्षर
- क्षणिक —शाश्वत
- क्षम्य— अक्षम्य
- क्षुद्र ——विराट्, विशाल, महान
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